Me Shayeri Q Likhti Hoon Ye Mujhe Nahi Pata,Magar Shayeri K Maadyam Se Me Aap Sabhi Ko Kuch Mehsus Kerana Chahti Hoon,Jaise Prem - Pira - Pehchaan Or Parichay,Jab Tanhai Me Apne Under Ki Aatmaa Ko Mehsus Karti Hoon,Tab Anubhurtiyaan Ek Dard Sa Man Hi Man Me Sisakta Rehta Hai,Jise Maine Apne Dill Se Anubhurti Kar Shayeri K Maadhyam Se Kavita K Zariye Logon Tak Pahunchaane Ki Koshish Ki Hai,Shayeri Likhna Koi Mazaak Nahi,Dill Se Shayeri Likhte Waqt Aansu Aa Jaate Hai...
~ ~ Sadah Bahar ~ ~
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Thursday 14 February 2013

Happy Valentines Day


प्रेम का दृष्टिकोण 
प्रेम 'आत्मा की एक शक्ति '

आत्मा की आत्मा से मिलन को प्रेम करते हैं,
प्यार उनसे करो जो दिल को लुटाना जानते है।

और दुसरे की दुख को समझते हो, 
सच्चा दिल से प्यार एक ही से होता है, 

चाहे वो काली हो या गोरी हो, 
जो एक प्यार को छोड़कर,

दुसरे सुन्दरता के पीछे दौड़ता है वो प्यार नहीं है,
पश्चिमी देश के असभ्यता को अपनाकर,
अपने देश की प्यार की संस्कृति को न भुलाए, 

प्रेम किसी एक व्यक्ति से हमारे संबंधों का नाम नहीं है, यह एक दृष्टिकोण है, एक चारित्रिक रुझान है जो किसी व्यक्ति के साथ-साथ पूरी दुनिया से हमारे संबंधों को अभिव्यक्त करता है। वह केवल एक लक्ष्य और उसके साथ के

संबंधों का नाम नहीं है। यदि एक व्यक्ति केवल दूसरे एक व्यक्ति से प्रेम करता है और अन्य सभी व्यक्तियों में उसकी रुचि नहीं है, तो उसका प्रेम, प्रेम न होकर उसके अहं का विस्तार मात्र है। फिर भी ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि प्रेम एक 'लक्ष्य' है न कि एक 'क्षमता'।

वे समझते हैं कि भूल भी करते हैं कि यदि वे केवल अपने 'प्रेमी' या 'प्रेमिका' से ही प्रेम करते हैं, तो यह उनके प्रेम की गहराई का प्रतीक है। इसका मतलब है कि वे प्रेम को एक गतिविधि के रूप में, 'आत्मा की एक शक्ति' के रूप में आत्मा की मिलन होता है, 

उन्हें लगता है कि एक 'प्रेमी' या 'प्रेमिका' होने का अर्थ है 'प्रेम' को पा लेना। यह बिलकुल वैसी ही बात है, जैसे कोई व्यक्ति चित्रकारी करना चाहता है और समझे कि उसे केवल एक प्रेरक विषय की जरूरत है, जिसके मिल जाने पर वह स्वत: ही बढ़िया चित्रकारी कर लेगा।

अगर मैं किसी एक व्यक्ति से सचमुच प्रेम करती हूँ तो मैं सभी व्यक्तियों से प्रेम करती हूँ।
करने का सच्चा अर्थ' यह है कि 'मैं उसके माध्यम से पूरी दुनिया और पूरी जिंदगी से प्यार करती हूँ।..


निः स्वार्थ प्रेम , विवाह के बंधन से अधीक महान और पवित्र होता है । इसलिए राधाकृष्ण निः स्वार्थ प्रेम की प्रतिमूर्ति है और सदेव पूजनीय है 
श्रीकृष्ण के जीवन में राधा प्रेम
की मूर्ति बनकर आईं। जिस प्रेम कोकोई
नाप नहीं सका,
उसकी आधारशिला राधा ने ही रखी थी।
प्रेम कभी भी शरीर की अवधारणा में
नहीं सिमट सकता ... प्रेम वह अनुभूति है
जिसमें साथ का एहसास निरंतर होता है !
न उम्र न जाति न उंच नीच ... प्रेम हर
बन्धनों से परे एक आत्मशक्ति है ,

दिल से प्यार करने वालों का प्यार कभी नहीं टूटता,
सच्चे प्यार का कभी अंत नहीं होता,
सातों जनम तक उनका प्यार बने रहेता है,
जैसे हमारे श्री राधे और कृष्ण जी का प्रेम है,
एक अटूट बंधन तोड़ने से भी न टूटे,

हम अपने सभी मित्रों के लिए एक अटूट प्यार मिलने का प्राथना करते है,
आप सभी के जीवन में श्री राधे और कृष्ण जी के तरह एक अटूट प्यार ,ज़िन्दगी भर बने रहे

Happy Valentines Day

सदा बहार

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